बेदाग जननेता की बेवक्त बिदाई
राजनीति समाजसेवा का ऐसा माध्यम है जिसमें रहते हुए अक्सर आरोप-प्रत्यारोप लगते ही रहते हैं। कई लोग तो एैसा मानते हैं कि नैतिक, सामाजिक मूल्यों में आई गिरावट के कारण राजनीति काजल की कोठरी की तरह हो गई है सिसमें रहते हुए, काम करते हुए, स्वार्थपूर्ति-अनियमितताओं-भ्रष्टाचार के दाग लग ही जाते हैं। ऐसे बिरले ही लोग होते हैं जो कि लगभग पांच दशक तक राजनीति में रहते हुए भी बेदाग बने रहे। पांच दशक की लम्बी राजनीतिक पारी खेलते हुए आमजन और मन को जीतने वाले महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा सांसद, विधायक, मंत्री, दुग्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सहकारी आन्दोलनों के नेतृत्वकर्ता बने रहे, इसके बावजूद उन पर कभी कोई दाग नहीं लगा। उनकी छवि साफ-सुथरी बनी रही।
इस दौर के राजनेता बोल, बात, बयान में जिस तरह की हल्की भाषा का उपयोग कर रहे हैं ऐसा श्री सिंह ने कभी नहीं किया। उनके कार्य और व्यवहार में सदैव सहिष्णुता, सहानुभूति की झलक दिखाई देती थी। कभी कहीं गुस्से में अपवाद स्वरूप कोई टिप्पणी कर भी दी तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने शब्दों को वापस लेने और क्षमा याचना में भी परहेज नहीं किया। उनके राजनैतिक विरोधी भी यह मानते हैं कि वे कांग्रेस ही नहीं बल्कि सभी राजनैतिक दलों के बीच सर्वस्वीकार्य राजनेता थे। श्री सिंह की पहचान गंभीर गरिमामय और अध्ययनशील व्यक्तित्व के रूप में थी। महेन्द्र सिंह राजनीति में शालीनता, सौम्यता, गंभीरता, संवेदनशीलता, विद्वता के प्रतीक बने रहे, इन्हीं गुणों के कारण उन्हें आम जनता के साथ ही विरोधी राजनेताओं में भी भरपूर सम्मान मिलता रहा। कैलाशवासी महाराज श्रीमंत माधवराव सिंधिया के प्रति अटूट निष्ठा के चलते उन्होंने राजनीति में ऊँचे पदों पर जाने के अनेक प्रलोभन कईबार ठुकराये। वे कांग्रेस पार्टी में मैैदानी कार्यकर्ताओं के लिए उत्वाह और भरोसे का प्रतीक थे। कार्यकर्ताओं को सदैव महत्व और सम्मान देना, मंच, माईक, माला से दूर रहना उनकी आदत में शामिल था। कई बार ऐसे अवसर भी आये जब कैलाशवासी महाराज उन्हें खुद ही हाथ पकड़ कर मंच पर लाये। वे कार्यकर्ताओं की समस्याओं का त्वरित समाधान करने में बड़ी रूचि लेते थे। ऐसी संवेदनशीलता राजनेताओं में अब कम होती जा रही है।
श्री महेन्द्र सिंह ने लोकसभा, विधानसभा में सामाजिक सरोकार से जुडे सवालों को हमेशा तथ्य-प्रमाण के साथ उठाया। उन्होंने कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, पशुपालन सहित समाज के विविध क्षेत्रों के मुद्दों को सड़क से सदन तक जोरदार तरीके से उठाया। वे सदन में किसी भी विषय पर चर्चा के लिए हमेशा पूरी तैयारी के साथ आते थे।
श्री महेन्द्र सिंह की कार्यशैली, मधुर व्यवहार का ऐसा प्रभाव था कि जो एक बार उनके संपर्क में आता वह उनसे हमेशा के लिए जुड़ जाता था। पिछले लगभग 20 वर्षों से उनके विशेष सहायक के रूप में हमेशा साथ रहने वाले चिंटू भाई बताते हैं कि साहब को अध्ययन का गहरा शौक था। वे लगातार यात्राएँ करते हुए भी पढ़ने-लिखने के सिलसिले को बनाये रखते थे। अपने समर्थकों के साथ लगातार संवाद, पत्र व्यवहार उनकी आदत में शामिल था। श्री सिंह के प्रशंसकों का दायरा इतना विस्तृत था कि उनके चाहने वाले देश-प्रदेश ही नहीं विदेश तक फैले हुए हैं। वे अपने आत्मीय व्यवहार से कार्यकर्ताओं का दिल जीत लेते थे। इन पंक्तियों के लेखक का श्री सिंह ने जिस आत्मीयता के साथ कैलाशवासी महाराज श्रीमंत माधवराव महाराज से परिचय करवाया वह अब मधुर स्मृतियांे में दर्ज हो गया है। श्री सिंह का यह आत्मीय भाव सदैव सब के साथ बना रहा।
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे युवा साथी अक्षय सक्सेना बताते हैं कि कालूखेडा साहब के मार्गदर्शन में ही श्रीमतं सिंधिया फैंस क्लब का गठन किया गया। उनके आशीर्वाद से आज श्रीमंत सिंधिया फैंस क्लब मध्यप्रदेश के बाहर भी अन्य राज्यों में पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहा है। मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा, रामनिवास रावत, पूर्व विधायक तुलसी सिलावट, राजेन्द्र भारती, गोविन्द राजपूत, बृजराज सिंह, पारस सखलेचा, बिज्जू बना, कांग्रेस नेता प्रमोद टण्डन, संजय ठाकुर, राजू चैहान, गणेश सोनी मंुगावली, जयविलास महल से संबद्ध अनिल मिश्रा सहित अन्य राज्यों में फैले हजारों समर्थक श्री महेन्द्र सिंह के असामयिक निधन से अपूर्णिय क्षति का अनुभव कर रहे हैं। ऐसे बेदाग नेता की बेवक्त बिदाई केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि साफ-सुथरी राजनीति में यकीन रखने वालों के लिए गहरा सदमा है। राजनीति के आकाश पर श्री महेन्द्र सिंह चकमदार सितारे की तरह हमेशा चमकते रहेंगे, ऐसा विश्वास है।
(अनाम आलेख सेवा)
पाठको की राय
amitabh pandaey, Bhopal says on September 30, 2017, 11:41 AM
very good